【【{{{◆◆शायर कहलाते हैं◆◆}}}】】
नही टिकती यारियां झुठ की दहलीज पर,
ज़रा सी बात पर आशिक़ों के पैर फिसल
जाते हैं।
अंदाज़ ही बदल जाता है महबूब के बात
करने का,जब कोई और सनम मिल जाते हैं।
तड़पता रहता है आशिक़ एक कोने में,सवेरे
शाम हरपल जब गम खाते हैं।
मुश्किल से ही निकलती हैं साँसे तन्हा ज़िन्दगी
में,कुछ हुनरमंद ही फिर शायर कहलाते हैं।