【【{◆◆भंवरा◆◆}】】
मोहब्बत मे उसको आजमाने मैं चला,
रास्ते में देख चाँद खुद ही बहक चला.
ये नियत कैसी हो चली मेरे ईमान की,
जो पूजती रही मुझको उसकी चुराकर
में महक चला।
ये तो शराफत नही मुझेमें कोई बाकी,
किसी और के हुस्न में मैं दहक चला।
बदलते ज़माने की हवा ने क्या असर किया,
एक फूल छोड़,भंवरा पूरे गुलिस्तान में खेल चला।