【【{{{{ग्रहण}}}}】】
दिल को बेचैन किये बैठे है,गीले ये नैन लिए बैठे है,
किया था एक सौदा दिल लगाकर मोहब्बत का,
आज लुटाकर चैन बैठे है।
रकम है चुकाई सारी खुशियां अपनी दर्द को अपना
बनाकर,एक खूबसूरत महल की ख्वाहिश में,
लगाकर खुद को ग्रहण बैठे है।
घाटा ही घाटा हुआ है मोहब्बत की इमारतें बनाने में,
ईंट दर ईंट कोई चुराकर ले गया ख़्वाब यहाँ, कितने
ही सदमें हैं बस तन्हाइयों में सहम बैठे है।
मुलाक़ातों के दौर की बहार तो पतझड़ हो गयी,
लिहाज अब भी थोड़ा सा रखा है,ये हवा के झोंके
जो कबसे ज़ख्मों पर रहम किये बैठे है।
मासूम दिल की आदत है पुरानी किसी को भूल नही
पाता,महबूब ठुकरा गया जो वापिस आएगा, बस
यही इंतज़ार का वहम लिए बैठे है।