【हम अलग नही】
न तुम अलग,न हम अलग हैं
बस हमारा मज़हब अलग है।
करते तुम भी पूजा ईश्वर की ही
बस हमारा भजन तुम्हारी
नमाज़ अलग है।
जिसका हम व्रत रखते हैं
तुम उसी का रोज़ा रखते हो।
बस हम उसे भगवान कहते हैं
तुम उसे अल्लाह कहते हो।
तुम पढ़ते हो क़ुरान ख़ुदा की
हम भगवन की गीता पढ़ते है।
तुम पढ़ते हो उर्दू में
हम संस्कृत में पढ़ते हैं।
तुम जाते हो हज को
हम काँवड़ को जाते हैं।
तुम लाते हो आबे ज़म ज़म
हम गंगाजल लाते हैं।
हमारे ज्ञानी पंडित
तुम्हारे ज्ञानी मौलवी कहलाते हैं।
होते हैं दोनों ही इंसान बस
तुम मुस्लिम कहलाते हो
हम हिन्दू कहलाते हैं।
कवि-विवेक कुमार विराज़