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3 Nov 2022 · 1 min read

✴️✳️⚜️वो पगड़ी सजाए हुए हैं⚜️✳️✴️

🤗🌺आँख न फोड़ो ज़्यादा लो डाल दिया रूपा🌺🤗

वो पगड़ी सजाए हुए हैं,
वो पगड़ी सजाए हुए हैं,
उन राहों का क्या?जो बची थीं मगर,
कदम रुक गए हैं दो चार चलकर,
तुम्हें देखना था न दिखाई दिए तुम,
माना बहुत यादकर भी भुलाए हुए हैं,
वो पगड़ी सजाए हुए हैं।।1।।
तक़दीर है या तदवीर है बस,
तुम जा छिपे हो श्रृंगार के बस,
शायद रूठ जाना ज़हन में है उनके,
इस पर भी वो मुस्कुराए हुए हैं,
वो पगड़ी सजाए हुए हैं।।2।।
तेरे रिन्द होने का अफ़सोस कैसा,
मैं फिक्रमंद हूँ तो अफ़सोस कैसा,
ग़र चातक बनूँ तो चन्दा बनोगे,
तो फिर क्यों किस्से बनाए हुए हैं,
वो पगड़ी सजाए हुए हैं।।3।।
रमक़ भर का घेरा और यह इंसा,
ख़ालिस बनी मौत घेरे सभी को,
न मैं मजबूर हूँ न तुम मजबूर हो,
फिर क्यों शब-ए-हिज़्र मनाए हुए हैं,
वो पगड़ी सजाए हुए हैं।।4।।
ग़र कोई चोट दी हो तो बताना,
ग़र दिल न बहके तो अन्दाज ही क्या,
ठहरकर तो देखो मेरी दिल की गली में,
तो फिर क्यों?राज़ छिपाएँ हुए हैं,
वो पगड़ी सजाए हुए हैं।।5।।

तक़दीर-भाग्य, तदवीर-योजना
रिन्द-मनमौजी व्यक्ति, फ़िक्रमन्द-चिन्तनशील
रमक़-आखिरी साँस, ख़ालिस-शुद्ध
शब-ए-हिज़्र-वियोग की रात्रि

©®अभिषेक पाराशर

##अपुन झुकेगा नहीं##
समय का अभाव है बस

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 123 Views
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