✴️जो बिखर गया उसका टूटना कैसा✴️
##मणिकर्णिका##
##बौनी बौनी बौनी##
##क्या हाल हैं?##
##बौनी की ऊपर तो Rap ही बनेगी##
##फ से फट्टू हो,बौनी##
जो बिखर गया उसका टूटना कैसा,
जो बिखर गया उसका टूटना कैसा,
सितम की कहानी कहें किससे-किससे,
गमों के बहाने कहें किससे किससे,
हम हैं अकेले बहुत ही अकेले,
बीते ज़माने सुने किससे किससे,
जो हाथ पकड़ा उसका छूटना कैसा,
जो बिखर गया उसका टूटना कैसा।।1।।
रिमझिम फुहारों में ढूढेंगें उनको,
परिन्दों की मानिद छोडेंगें उनको,
कानों में गिरतीं रहें उनकी आवाज़ें,
‘खिलें फूल सा’ न तोड़ेंगे उनको,
दिलों की गुलामी में रूठना कैसा,
जो बिखर गया उसका टूटना कैसा।।2।।
किताबों में फूलों से रखे गए हैं,
फूलों की राहें वो नंगे पैरों गए हैं,
करें क्या अब कोई काँटा चुभो लें,
हमारी तरफ़ से भले चंगे गए हैं,
सुनो, लूटे हुए को लूटना कैसा,
जो बिखर गया उसका टूटना कैसा।।3।।
मैं राग बन जाऊँ तुम रागिनी हो,
मैं चाँद बन जाऊँ तुम चाँदनी हो,
और किस किस उपमा से उनको सँवारे,
मैं आफ़ताब हूँ तुम रोशनी हो,
दो दिल मिल गए तो चिलमन कैसा,
जो बिखर गया उसका टूटना कैसा।।4।।
©®अभिषेक: पाराशरः ‘आनन्द’