✳️🌀मेरा इश्क़ ग़मगीन नहीं है🌀✳️
मेरा इश्क़ ग़मगीन नहीं है,
असर है तेरे आँख के काजल का,
जो देखा छिपकर-नासमझ बनकर,
आप भी देखते हैं तस्सवुर मेरा,
पलकें गिराकर आहिस्ता आहिस्ता,
यह मुख़्तसर उदासी है, रंगीन नहीं है,
मेरा इश्क़ ग़मगीन नहीं है।।1।।
न बनाया है दोस्त तुम्हें सरेराह,
नफ़ा की बात ही समायी इसमें,
दिल में बाग सजाया पूरे जोर से,
अब तेरे तंज या इस वक़्त से लड़ूँ,
वास्ते मेरे, तेरे इरादे संगीन नहीं है,
मेरा इश्क़ ग़मगीन नहीं है।।2।।
बिना आग के लौ जलेगी कैसे,
आप का हटना दिल्लगी करके,
इसे तमाशा कहूँ या हादिसा कहूँ,
क्यों चुपके से पैग़ाम दिए जाते हैं,
बतौर^ ये तेरी सोहबत• से,आमीन* नहीं है,
मेरा इश्क़ ग़मगीन नहीं है।।3।।
उस झूठे चोले को उतार फेंको,
ओढ़ा है जिसे गैरों के कहने पर,
वे तो कहेंगे फ़ानी♀ है संग मेरा तेरा,
बे-आबरू बन घूमो तुम दोनों,
‘यह ग़लत है’मेरा इश्क़ फ़रेब™ नहीं है,
मेरा इश्क़ ग़मगीन नहीं है।।4।।
*Honest, faithful, and trustworthy
•संगति
^जैसे
♀नष्ट होने वाला
™धोखा
©®अभिषेक पाराशर