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9 Oct 2021 · 2 min read

✍️ लुप्त होईत मिथिला

शामा, कौनी,मरुआ, मौनी
ढकना,सरबा भेलै विलुप्त।
अल्हुआ अभागल घर सऽभागल
चिक्कस,चाउर सब भेलै लुप्त।।

बाबाक पैंना,दायक बैना
कोठी-भरली गेलै फुईट ।
सिक्का,सिक्की,चंगेरा-चंगेरी
उख्खड़ि,समाठ सब गेलै टुईट।।

घैला,तौला,दहीक मटकुरी
शनै: शनै: सब भेलै गायब।
ढ़ेका-ढ़ेकी,ढ़किया,पथिया
ई सगरो नहिं कतौ पायब।।

पौती,पेटारी ,बाबाक बखारी
महफा,कहार के भेलै विदाई ।
टारा,टारी,डाली-हारी
चित्ति सुपाड़ी ने आब कियो खाई।

बड़दक आंती,जाड़क गांती
केथरी,चेथरी गेल पड़ाई ।
नवकी कनिया देहक अंगिया
शाम-चकेवा गेल हेराई ।।

खापड़ि-खुड़पी,सिड़की-सुड़की
जट-जटिन आब भेलै विरान।
अरुआ,फरुआ,तरुआ,भरुआ
आब ने कतौ तिलकोरक मान।।

तौनी,दौनी,पौनी,पसारी
मेह,खुंटा ने कतौ कड़ाम।
कनिया-पुतरा,चटिया-खटिया
आब ने कतौ भेटय खड़ाम।।

बौआ-बुच्ची,लुच्चा-लुच्ची
खुरलुच्ची के भेल अभाव।
नांगट,भांगठ,सांकट ने कियो
सगरो छोड़ल अपन स्वभाव।।

बुड़बक, काबिल,माझिल,साझिल
आब ने कतौ भेटय अमोट।
बिन आमिल तरकारी छमकै
‘बड़ी’ दिन-दिन भेलय छोट।।

ककरो घर ने जांत भेटय छै
लोड़ही-सिलौट भेलै सुकुमार।
चटगर-चटनी सौउस बनल छै
सर-समाज में पड़ल दड़ार।।

गोनैर-डोरी,पेन्टक छोंड़ी
सिपटीपीन आब गेलय चुईक।
डिबिया-बाती,पिटै छाती
मटियो तेल आब गेलय हुईक।।

हर-पालो आ लागनि टुटल
संगहि छिटकल जोति-कनैल।
बान्हल बड़द बौउख गेलय आब
साउर-चड़क वा होई वो कैयल।।

कुसियारक ने रस चुबै छै
दुद्धी भेटय ने कोनो ठाम।
लबका-लबका आईटम भेटय
जहड़क पुड़िया गामे-गाम।।

बथुआ-बिड़िया बातें सोन्हगर
कुम्हरौरी के भेलय तालाक।
चड़-चड़ौरी,बड़, अदौरी
सबटा मनोरथ भेलय खाक।।

ठांऊ-पिड़ही,पाहुन-पड़क आ
बाट-बटोही भेलय गौण।
शेर-पशेरी,कनमा, शोरे
लबादुआ ने जोखै मोन।।

ओरिका,तामा,दाईब दैईब गेल
रह्हि रहि गेल ठारहि-ठाड़।
नेना-भुटका भेलय अगत्ती
डाबा,कोहा के फोड़ल कपाड़।।

ओरियानी,ओसारा हटलै
खाम्ह,बड़ेड़ी करय किलोल।
कोरो-बाती,बन्हन बाजल
घर-दुआरि में छै बड्ड झोल।।

गोड़ा-गोड़हा,लोड़हा-ओड़हा
सागक-भक्खा खाईथ आईर।
सजबी-दहीक खौर पौड़ल अछि
कलहा के सब परहैन गाईड़।।

बोगली,बटुआ,बिष्टी,धरिया
डोरर,लंगोटी,नांगट भेल।
डराडोईर ने डांर धरै आब
अपनेहि में सब झंझट कयल।।

हेहर-थेथर,आगर-बागर
छागर के फाटल छछनार।
पाठा-पाठीक पीठ सैट गेल
नार-पुआर आब भेल बीमाड़।।

चुल्ही,जाड़ैन,लाड़ैन लड़ि गेल
मुरही संग भागल कंसार।
बीचहि बांट में लाई भेट गेल
जा बैसल सब हाट-बाजार।।

परतानक ने तान सुनै छी
सुनी पराती नहिं भोरे-भोर।
दाई-माई नहिं सांझ गबै छथि
सगरो ‘मिथिला’ ढ़ारथि नोर।।
✍️✍️ ✍️

बिन्देश्वर राय”विवेकी”
गाम – नवकरही
भाया-अड़ेर
थाना-अड़ेर
जिला-मधुबनी(बिहार)
पिनकोड:-847222
मोबाइल नं-7004765952

Language: Maithili
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