✍️✍️रब्त✍️✍️
✍️✍️रब्त✍️✍️
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तेरे शहर से ही अब मेरा कोई रब्त रहा नहीं
लौटा के सारे पल तेरे अंदर मैं ज़ब्त रहा नहीं
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©✍️”अशांत”शेखर✍️
31/07/2022
✍️✍️रब्त✍️✍️
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तेरे शहर से ही अब मेरा कोई रब्त रहा नहीं
लौटा के सारे पल तेरे अंदर मैं ज़ब्त रहा नहीं
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©✍️”अशांत”शेखर✍️
31/07/2022