✍️✍️यज़दान✍️✍️
✍️✍️यज़दान✍️✍️
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हमने कुछ लोगो को किस्मत से लड़ते देखा है
फिर हारकर खुद के ही तक़दीर पे रोते देखा है
मौत का डर फिर कभी इस जेहन में रहा नहीं
झूलती रस्सी पर एक लाश को चलते देखा है
दर्द का एहसास फिर इस दिल को हुँवा नहीं
पापी पेट की आग से लोगो को बहलते देखा है
जित का जुनूँ फिर कभी सर चढ़ने दिया नहीं
एक इक्के को जोकर से ताश में हारते देखा है
हार का मातम फिर कभी दिल ने मनाया नहीं
इक बादशाह को प्यादे से मात खाते देखा है
‘अशांत’ मैं यज़दान था उसके आलम पनाह में
मेरे मकान पे आसमाँ को छत बिछाते देखा है
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✍️”अशांत”शेखर✍️
14/07/2022
*यज़दान-दो खुदा को मानने वाला