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16 Jun 2022 · 1 min read

✍️क़ुर्बान मेरा जज़्बा हो✍️

✍️क़ुर्बान मेरा जज़्बा हो✍️
…………………………………………………//
कौन चाहता है ज़मी पे शोर शराबा हो
हम अहल-ए-वतन में ये खूनखराबा हो

गर ज़ियारत करके वो मिले तो ढूँढ लो..!
किसने कहाँ के काशी में भी काबा हो ।

ये मंदिर मस्जिद तो है इस हँसीन जहाँ में
कश्मकश में कही इंसानियत ना तबाह हो ।

खिज़ा का कोई मौसम अब ख़ुश्क है यहाँ..!
बागबाँ नहीं चाहता मुश्किल में खियाबा हो।

इँसा वो बे-नज़ीर है जो इँसा की तासीर है
वतन के खातिर इँसा का क़ुर्बान जज्बा हो
………………………………………………………//
✍️”अशांत”शेखर✍️
16/06/2022

1 Like · 2 Comments · 244 Views
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