✍️सिर्फ गांधी का गांधी होना पर्याप्त नहीं था…
सिर्फ गांधी का गांधी
बनना ही पर्याप्त
नहीं होता है…
उनके महात्मा
होने के सफर का
पड़ाव कभी समाप्त
नही होता है…
एक जिंदा गांधी
कभी कभी मर सकते है
पर एक अमर आत्मा का
महात्मा में विलीनीकरण
सदा बना रहता है..
किताबो में..पुतलों में..
स्मारकों में..ग्रंथालयो में..
बंदूक ताने हुई विपरीत
विचारधारोंओ में भी…
वो मिलते है कुछ
खामोशियो में…
चलते रहते है
वो लाठी लेकर
निरंतर…
रात के सन्नाटो में
गोरखा बने हुये…
जोर की सीटी बजाकर
हाँ इतना ही कहते है
‘जागते रहो’….!
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©✍️’अशांत’ शेखर
02/10/2022