✍️सबक✍️
✍️सबक✍️
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ताउम्र मैंने अपने कदमो का साथ निभाया
इनको रास्ते चुनने का सलिखा नहीं आया
मैंने आँखों को भी ख़्वाब देखना सिखाया
इन्हें ऊँचे आसमाँ को परखना नहीं आया
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©✍️’अशांत’शेखर✍️
19/08/2022