✍️राहे-ए-जिंदगी✍️
✍️राहे-ए-जिंदगी✍️
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जाने कहाँ रोशनी में वो उजाले गुम हुए है
हम अँधेरो में अंधेरो से संभलकर आए है
आहिस्ता से रखने दे पाँव राहे-ए-जिंदगी
हमने तो तेरे हर इम्तिहाँ में ठोकर खाए है
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©✍️’अशांत’ शेखर✍️
08/09/2022