✍️रहनुमा रहता है✍️
✍️रहनुमा रहता है✍️
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ना मिले कही जमी पे छत, सर पे आसमाँ रहता है
रोज रात ख़्वाब टूटते है और सुबह अरमां रहता है
तुमने कही वादे किए और हमने इंतेजार किया है
तुम मिलोगे इस ख्वाईश में मैं और ये समां रहता है
कभी मेले भी लगते थे यहाँ अब भीड़ दिखती नहीं
उस हादसे में शहर डरा है और वो सहमा रहता है
कोई चलता है काफ़िला लेके उम्मीदों के डगर पे..
हर नगर को अब अंजान लोगों का सदमा रहता है
हम भी इन भुलभुलैया में कही गुमराह है ‘अशांत’
चलो उस राहगुज़र सुना है के वहां रहनुमा रहता है
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©✍️’अशांत’शेखर✍️
12/08/2022