✍️बंद मुठ्ठी लाख की✍️
✍️बंद मुठ्ठी लाख की✍️
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खुद को ही झूठे उम्मीदों पे रखते हो
‘बंद मुठ्ठी लाख की’ यही तो कहते हो
जब खोली मुठ्ठी तो खाली लकीरे थी
और लकीरों को तुम तक़दीर कहते हो
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✍️”अशांत”शेखर✍️
12/07/2022