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3 Sep 2022 · 1 min read

✍️प्यार,इश्क ही इँसा की रौनक है ✍️

✍️प्यार,इश्क ही इँसा की रौनक है ✍️
…………………………………………………………………//
इस दिवार के बीच इक मोहब्बत कायम है रहने दो
चाँद सितारों की रोशनी से रात में चमक है रहने दो

कोई आफ़ताब चुराने की जुर्रत नहीं कर सकता है
इन किरणों से जमी पे भी धुप की दमक है रहने दो

इन आँखों से अब ये दर्द के मंझर बर्दाश्त नहीं होते
लफ्ज़ रूह के भीतर दबे होने की कसक है रहने दो

जब खुद से खुद हारोगे तो एक नई सिख पाओगे
प्रतिद्वंदी को हराने में आपकी जो धमक है रहने दो

हर एक चीज़ आपस में टकराकर फ़ना हो जाती है
दुनिया में प्यार,इश्क ही इँसा की रौनक है रहने दो
…………………………………………………………………//
✍️©’अशांत’ शेखर✍️
03/09/2022

4 Likes · 6 Comments · 259 Views
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