✍️कभी मिटे ना पाँव के वजूद
जरूर किसी से तो मिलता होगा ये चेहरा मेरा
और उस मुकद्दर में भी लिखा होगा दायरा मेरा
काली रातों ने तो सिखाया है उजाले ढूँढना हमें
उम्मीदे जिंदा है के कभी तो होगा वो सवेरा मेरा
हौसलों को आजमाती है कामयाबी की हर डगर
बढ़ते हुए कदमो का साहस ही बनेगा आसरा मेरा
आशियानों पे लिखी होती है मंजिलों की दास्तां
अपने कहानियों का खुद गवाह होगा बसेरा मेरा
समंदर पे नहीं मिलते है डूबी कश्तियों के नामोनिशां
कभी मिटे ना पाँव के वजूद वही होगा किनारा मेरा
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©✍️’अशांत’ शेखर
27/10/2022