✍️गुमसुम सी रातें ✍️
क्या कहुँ दास्ताँ उन गुमसुम सी रातों की,
जो तेरे आने के ख़्वाब देखते देखते चुपचाप सो जाती है।
✍️वैष्णवी गुप्ता (vaishu)
कौशांबी
क्या कहुँ दास्ताँ उन गुमसुम सी रातों की,
जो तेरे आने के ख़्वाब देखते देखते चुपचाप सो जाती है।
✍️वैष्णवी गुप्ता (vaishu)
कौशांबी