✍️ए जिंदगी तू कहाँ..?✍️
✍️ए जिंदगी तू कहाँ..?✍️
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किरदारों के साँचे में ढालकर
इस रंगमंच का तमाशा बनाकर
ए जिंदगी तू कहाँ से देखती है
इँसान के हरकतों को छुपकर ?
मुश्किलो के आँच पे सेंककर
जीने के कुछ सलिखे चुराकर
ए जिंदगी तू कहाँ लापता है
हमें अपने नजरो में गिराकर ?
हर दिन नई कहानी बुनकर
इम्तिहाँ के लिए हमें चुनकर
ए जिंदगी तू कहाँ गुमशुदा है
मंझिल के रास्ते कही छुपाकर ?
ख़्वाबो के जंजाल में फंसाकर
कुछ अधूरे अरमानो को तोड़कर
ए जिंदगी तू कहाँ मजे लेती है
हमें बुरे हालातों में मरोड़कर ?
थोड़ीसी आस की तसल्ली देकर
खड़ा किया तूने गम का समंदर
ए जिंदगी आँखों में अश्क़ भरे है
कहाँ चली यूँही हमें तू ठुकराकर ?
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©✍️’अशांत’शेखर✍️
20/08/2022