✍️एक नन्हे बच्चे इंदर मेघवाल की मौत पर…!
✍️एक नन्हे बच्चे इंदर मेघवाल की मौत पर…!
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जल कुदरत की वो
सौगात है जिस पर
हर सजीवों का बराबर
का अधिकार है..!
हे मानव तू जानवरो
से भी नींच कैसा..?
अधर्म मनु निर्मित
जातीव्यवस्था की
सरंचना तेरे दिमाग
को अभी तक कैसे
सड़ा गला रही है..?
वो नन्हा बच्चा तेरे ही
पाठशाला का शिष्य
प्यासा था बेचारा…
एक प्याला पाणी के
लिए जान गँवा बैठा..
अरे किस नराधम
की औलाद है तू ..?
और किस गंदे खून
की पैदाइश है तू ..?
क्या मिला तुझे किसी
माँ की कोख़ उजाड़कर..?
एक बाप के एकलौते बेटे
‘इंदर मेघवाल’ को छीनकर..?
कल आझादी का अमृतकाल
देश मना रहा था…!
एक दलित बच्चे को मृतकाल का
काला दानव धरती माँ
से मिटा रहा था…!
कैसी ‘जाती’ है
आझाद भारत के
कुछ दखियानुसी
मानसिकता से जाती नहीं
और इस वतन के
दलित पिछडो को पूर्णरूप
से स्वतंत्रता प्रदान करती नहीं
अगर आज भी
मटके के पानी को
छूने से एक दलित बच्चा
पीट पीटकर मारा जाता है
तो बता ऐ हिन्दोस्तां तेरी
किस उपलब्धी पे हम
नाज करे और कैसे कहे के
‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा’…???
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©✍️’अशांत’ शेखर✍️
16/08/2022