✍️अरमानों की फरमाईश कर बैठे
इस भीड़भाड़ की दुनिया में
हम रास्तो से गुंजाईश कर बैठे
मंझिल को पाने की ज़िद में
अपने हुनर की नुमाईश कर बैठे
ढूंढने से मिलते नहीं राहों में
यहाँ खुद के चले कदमो के निशां
हो जिंदगी का ये सफर आसान के
हम नंगे पैरो की आज़माईश कर बैठे
बहुत से फ़ासले होते है सच्चाई
और झूठे दिखावे भरी हकीकतों में
अपने अंदर के ख़ुद्दारी को रौंदकर
हम चंद अरमानों की फरमाईश कर बैठे
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©✍️’अशांत’ शेखर
27/09/2022