✍️अपनों के दाँव थे✍️
✍️अपनों के दाँव थे✍️
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ख़्वाब तो मेरे आसमाँ से ऊँचे थे
मगर चुनोती भरे ओर भी पड़ाव थे
हम तो सीढियां चढ़ने ही लगे थे..
पर गिराने में अपनों के लगे दाँव थे
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©✍️’अशांत’शेखर✍️
13/08/2022