✍✍मिलन ऐसा हो होलिका पर,द्वेष मिट जाएँ सभी के✍✍(होली की शुभकामनाओं सहित)
मिलन ऐसा हो होलिका पर,द्वेष मिट जाएँ सभी के,
प्रेम की गंगा बहे धरा पर, मैल मिट जाएँ सभी के,
सुख की वर्षा हो गगन से,अवसाद अदृश्य हो जाएँ उर से, शत्रुता का त्याग करके, संगठन गीत गाएँ एक स्वर से।।1।।
विविध हों कार्य सबके,ध्येय मिल जाएँ सभी के,
ध्येय मिल जाने पर भी, त्याग उर बस जाएँ सभी के,
शान्ति की वर्षा हो गगन से,अवसाद अदृश्य हो जाएँ उर से, शत्रुता का त्याग करके, संगठन गीत गाएँ एक स्वर से।।2।।
संस्कृति को उर में बसाकर, क्लेश मिट जाएँ सभी,
क्लेश का भी अन्त होकर, आनन्दमय हो तन सभी के,
अमृत की वर्षा हो गगन से,अवसाद अदृश्य हो जाएँ उर से, शत्रुता का त्याग करके, संगठन गीत गाएँ एक स्वर से।।3।।
चेतन्य का अनुशरण करके, विचारों में एकत्व हो सभी के,
एकत्व की प्रबल भावना से, ज्ञानमय हो मन सभी के,
समृद्धि की वर्षा हो गगन में,अवसाद अदृश्य हो जाएँ उर से, शत्रुता का त्याग करके, संगठन गीत गाएँ एक स्वर से।।4।।
###अभिषेक पाराशर###