☆☆ सन्नाटे में आशिक की हत्या ☆☆
☆☆ सन्नाटे में आशिक की हत्या ☆☆
हुआ तो था न कुछ उसे ।
पर उस दिन कुछ ऐसा था ।
सहमी हुई थी वो ।
वो रात अंधेरी ।
हवाओ की सरसराहट ।
वो बेकल मन -सी ।
उठकर खाट से ।
कुछ सोचे -जा रही थी ।
शायद कुछ तो छिपा रही थी वो ।
मेरी आत्मा कहे जा रही थी ।
देखा तो मै भी रह गया सन्न ।
हाथ-पाँव फूलकर मेरे हुए सुन्न ।
गई वो जब घर के पीछे ।
आम के पेङ के पास ।
मिट्टी और पत्तो को हटाया ।
देखा मरा पङा बेधङ ।
ये नर था कौन ।
मेरा तन कांप रहा था ।
उसने पीछे मुङकर ।
जब हमें देखा ।
तो लगी चिल्लाने ।
हे! तुम यहाँ क्या कर रहे हो ।
मैने भी कहा ये इंसान कौन है ।
और क्यो मारा इसे तुमने ।
उसने कहा ये मेरा आशिक था ।
मैने अकेली और मुझसे प्यार करने वाले दो।
मेरे एक चाहने वाले ने इसकी हत्या कर दी ।
और उसे यही दफना कर चला गया ।
मैं भी इससे बहुत प्यार करती थी।
पर मैं हवस और लालच में पत्थर दिल हो गई ।
मर गया ये देखो हाथ में उसने ही है बांधे ये धागे ।
मेरे हुस्न ने ये क्या कर दिया ।
जीते जागते दिल को जला दिया।
धूं-धूं कर जल गया -हवस फिर भी न गया ।
तूने ये क्या किया इस बेचारे को मार दिया ।
वाह रे ! डायन मै इस लङके को पहचान गया ।
करीम है ये मेरा दोस्त मेरा यार ।
तूने इसका ये क्या किया ।
या खुदा या मोहब्बत ।
नारी को क्या कहूं ।
तेरी खुदाई या तेरी रहमत ।
☆☆ RJ Anand Prajapati ☆☆