☆मां पर कविता ☆
मां की ममता है प्यारी।
कितनी सुंदर गोद है न्यारी।
पापों के संग काम कराती।
फिर भी थकती न बेचारी।
समय से खाना रोज पकाती।
सब को समय समय पर खिलाती।
बचपन में यह साथ सुलाती।
जीवन भर न बात भुलाती।
खेल खेल मे हमको झुठलाती।
कभी खिलाती कभी सुलाती।
मां होती है सबकी प्यारी ।
सबसे न्यारी सबकी प्यारी ।
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सत्यम गुप्ता
फतेहपुर