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9 Dec 2016 · 1 min read

[[★ ग़ज़ल प्यार की इक बियाबान लिख दूँ ★]]


ग़ज़ल प्यार की इक बियाबान लिख दूँ
अगर तुम कहो तो मे’री जान लिख दूँ

लिखू शेर तुझ पर लिखू में कहानी
मुहब्बत दिलों की ये’वीरान लिख दूँ

तुम्हे मान बैठा हूँ’ में तो ख़ुदाया
अगर मान लो तो में भगवान लिख दूँ

तुम्ही से मुझे यार उल्फ़त हुई है
दिलों के सभी अब में अरमान लिख दूँ

अगर हो भी जाये सनम मुझ से गलती
अग़र तुम कहो तो क्षमादान लिख दूँ

नितिन शर्मा

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