★ जो मज़ा तेरी कातिल नजरों के नजारों में है। ★
जो मज़ा तेरी कातिल नजरों के नजारों में है। वह मजा कहां किसी की बाहों और बहारों में है। तू तालाब दरिया समंदर और किनारों में है। तू मंदिर मस्जिद और मजारों में है। तू दिनकर दिवाकर निशा के विकारों में है। तू गरीबों के दिल में अमीरों के विचारों में है। कि तू कमल की लेखनी और चांद सितारों में है। तू धरा की पुष्पित बहारों में है। तू दिल में जुबां पर नजारों में है। तू चांदनी में चांद की बारिश की बौछारों में है । वह कौन है जो सब के दिलों में और नजारों में है। जो गरीबों के दिल में और अमीरों के विचारों में है।।
★IPS KAMAL THAKUR ★