||●||साथी||●||
एक साथी
बिछड़ गया है
उसे ढूंढ रहा हूँ।
खोज रहा हूँ
पूछ रहा हूँ।
यादों में उसकी
तड़प रहा हूँ
सिसक रहा हूँ।
मिलने को उससे
तरस रहा हूँ
बड़ा अच्छा
वो इंसान था
मेरे शरीर की जान था।
जीवन पर उसके
मेरा जीवन कुर्बान था।
आज उसकी खोज में
जगह जगह
और गाँव-गाँव
गली-गली और
शहर -शहर मैं बेसुध
होकर टहल रहा हूँ।
जाने वो कैसा
और किस हाल में होगा
स्वतन्त्र घूम रहा होगा
या दुविधाओं
के जाल मे होगा।
जाने जीवन कैसा
उसका व्यतीत हो रहा होगा।
मेरे बिना उसको बहुत
अकेला प्रतीत हो रहा होगा।
उसकी इक़ झलक
पाने को मैं कई मासों से
भटक रहा हूँ।
एक साथी बिछड़
गया है उसे
खोज रहा हूँ।
ढूंढ रहा हूँ।