~~◆◆{{◆◆गम◆◆}}◆◆~~
ये गम कई बार आता है,हर बार आयी खुशियों को जलाता है.
लेने नही देता सुकून ये,सांस भी लूं तो बहुत तड़पाता है।
मारता है ठोकर मेरी हर उम्मीद को,नाजाने कितनी बार आँखों को रुलाता है.
बांध कर रखता है तन्हाई में मुझे,आँसुओं के रंग से फिर लिखना सिखाता है।
हमसाया सा बन गया ये हर सफर पर,हरतरफ मेरे साथ जाता है.
मुकर नही सकता अब इसके वजूद से,अब तो यही साथ निभाता है।
घर का आईना तो बेईमान निकला,ये गम ही मेरा असली चेहरा दिखाता है.
फूलों से तो खेलते हैं कीट पतंगे,अमन तो कांटो को दिल में बुलाता है।