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20 Jul 2020 · 1 min read

~~◆◆{{◆◆कौन जाने◆◆}}◆◆~~

ज़िन्दगी के जख्म मासूम नही होते,बार बार तड़पना पड़ता है आने वाले वक्त में.

हर इंसान की अपनी दर्द-ए-कहानी है,नाजाने क्या क्या सहता है गुजरे वक़्त में।

बहुत कुछ समाये रहती है ये मिट्टी की अकड़ खुद में,कितने ही राज दब जाते है इस वक़्त में.

नहीं मिलता सुकून सब पा कर भी,समंदर से भी गहरा दर्द छुपा है इस वक़्त में।

हर कोई उलझता है अपनी अपनी तड़प से,सबकी खुशी से खेला गया है उनके वक़्त में।

अंदाज़ा नही किसी की ज़िंदगी का,कौन जाने क्या क्या पिरोया है किसीने गुजरे वक़्त में।

सब भूल मुस्कराना ही अच्छा है,क्या करना सौदा चलती सांसों का अच्छे बुरे वक्त में।

Language: Hindi
11 Likes · 4 Comments · 380 Views

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