~~◆◆{{◆◆कलम यार◆◆}}◆◆~~
आसमां की कोई जमीं ना,कमीने यारों में कोई कमी ना.
कदमों की धूल से खेलते हैं यारियां,कोई नफरत की धूल दिल पे जमी ना।
टकराते रहे हर चुनौती से एक होकर,कोई सामने मुसिबत थमी ना.
राख की तरह चूर कर डाले झूठ के आईने,सच के सिवा दोस्ती में कोई लो जली ना।
हर इंसान से प्यार किया हमने आईना दिल रखकर,कभी अकड़ में ये गर्दन तनी ना.
लोग तो अक्सर ढूंढते रहे कमियां मुझमें,इसलिये तो आजतक भी,कलम यार के बिना अमन की किसी से बनी ना।