~~◆◆{{{{सास ससुर जी}}}}◆◆~~
सारी ख़्वाहिशें तोड़कर,आयी है बाबुल का घर छोड़कर,ये तुमारे घर बहु बनकर आयी है, एक नया रिश्ता जोड़कर।
ना रखो कोई भेदभाव ना करना इसका उपहास,समझो अपनी ही बेटी,ना रहो कभी सास ससुर जी इस से मुँह मोड़कर।
ये तो रूप लक्ष्मी का,लेकर आई आशीर्वाद माँ जननी का,घर मे रौनक लायेगी, यही आपका वंश बढ़ाएगी,दर्द पीड़ा को झेलकर।
मासूम सा दिल इस नारी का,ना रखो इसको बेचारी सा,इसकी खुशियों को बढ़ायो तुम,अपने घर में भी पढ़ाओ तुम,रखो दिल अपना भी खोलकर।
इसका दुख भी सांझा करलो,थोड़ा ये भी भला करलो,ना अकेलेपन में छोड़ो इसे,ये भी बेटी तुमारी है इसको भी बाहों में भर लो,मेरी बेटी बोलकर।
इसको भी तो लाये हो अपनाकर,ना रखो ईष्या मन में छुपाकर,ना तड़पायों इसके मन को,क्या मिलेगा इसको रुलाकर,इसकी सब उम्मीदें तोड़कर।