{◆काश जीवन से समझौता कर लेते◆}
न गिरते अश्रु धारे,न चिंता मन को खाती
न ह्रदय रोग उभरता,न ज़िंदगी कठिन कहलाती।
गर अड़चनों से दृढ़ता का सौदा हम कर लेते।
काश जीवन से समझौता हम कर लेते।
न दुखती नश उभरती,न गली से गम गुजरते
न घबराते जीने से,न धूल सा कभी बिखरते।
गर दुनिया से ज्यादा ख़ुद का औदा हम कर लेते
काश जीवन से समझौता हम कर लेते।
न गिले दुनिया से कोई,न अपनो से शिकायत होती
न मस्तिष्क आपा खोता,न ज़माने से अदावत होती।
गर जलन,क्रोध,ईर्ष्या,से मुक्त दिल का घरौंदा कर लेते।
काश जीवन से समझौता हम कर लेते।
न मौत की चाहत होती,न साँसों से जी भरता
न आत्महत्या करते,न फाँसी पे चढ़ने को जी करता।
गर इरादे को अपने कठोर हथौड़ा हम कर लेते,
काश जीवन से समझौता हम कर लेते।
न चुभती किसी की बातें,न दिल पे लगते ताने
न रातें कटती रो रोकर,न दिन लगते डराने।
गर ग़ैरों के मसलों से ख़ुद को लौता हम कर लेते।
काश जीवन से समझौता हम कर लेते।
कवि-वि के विराज़
समय-9:56
तिथि-03/03/2021