मंत्र :या देवी सर्वभूतेषु सृष्टि रूपेण संस्थिता।
जहाँ मुर्दे ही मुर्दे हों, वहाँ ज़िंदगी क्या करेगी
प्रकृति से हमें जो भी मिला है हमनें पूजा है
सवाल सिर्फ आँखों में बचे थे, जुबान तो खामोश हो चली थी, साँसों में बेबसी का संगीत था, धड़कने बर्फ़ सी जमीं थी.......
सुन लो प्रिय अब किसी से प्यार न होगा।/लवकुश यादव "अजल"
घमण्ड बता देता है पैसा कितना है
ग़ज़ल _ धड़कन में बसे रहते ।
कल का सूरज
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
जो व्यक्ति रथयात्रा में रथ पर विराजमान श्री कृष्ण, बलराम और
किताब के किसी पन्ने में गर दर्दनाक कोई कहानी हो
वफ़ा के ख़ज़ाने खोजने निकला था एक बेवफ़ा,
आकाश भेद पथ पर पहुँचा, आदित्य एल वन सूर्ययान।