गौर फरमाएं अर्ज किया है....!
*नेता बेचारा फॅंसा, कभी जेल है बेल (कुंडलिया)*
वो तो नाराजगी से डरते हैं।
माता पिता के श्री चरणों में बारंबार प्रणाम है
तुमको हक है जिंदगी अपनी जी लो खुशी से
जो भूलने बैठी तो, यादें और गहराने लगी।
आत्मस्वरुप
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
मुहब्बत में शायरी का होना तो लाज़मी है जनाब,
स्त्री ने कभी जीत चाही ही नही
*हर किसी के हाथ में अब आंच है*
स्वतंत्रता दिवस की पावन बेला
द्रौपदी ने भी रखा था ‘करवा चौथ’ का व्रत
मैं पुरखों के घर आया था
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
- मेरे ख्वाबों की मल्लिका -
सभी प्रकार के घनाक्षरी छंद सीखें