■ सुर या असुर इंसान ■
तुम सुर हो के असुर मुझे बता दो इंसानों
इस गहरे राज़ से पर्दा आज उठा दो इंसानों।
खोल दो आज हक़ीक़त का चिट्ठा अपने,
सच जो हैं सबके सामने ला दो इंसानों।
मुझे तो इंसानियत तुममे कुछ नजर आती नही
बर्बरता के सिवा तुम्हारी कोई खबर आती नही।
ज़र्रा अगर तुममे वाकई इंसानियत का बाकी है
तो कोई तो अच्छा काम करके दिखा दो इंसानों।
दिखा दो किसी भी इक़ इंसान के काम आकर
बचालो किसी का सबकुछ अपना सब लुटाकर।
वर्ना तो मुझसे ख़ुद को शैतान कहलवा लो,या
करके थोड़े अच्छे काम ख़ुद को इंसान कहलवा लो।
कवि-वि के विराज़