■ सियासी ग़ज़ल
#सियासी_ग़ज़ल
■ सत्ता का शिव धनुष
【प्रणय प्रभात】
★ सत्ता का शिव-धनुष उठाएगा वो ही।
सब मिल रोते रहना छाएगा वो ही।।
★ तुम बिल्ली से रोटी ले लड़ते रहना।
और देखना आख़िर खाएगा वो ही।।
★ भला-बुरा, आड़ा-टेड़ा, ऊंचा-नीचा।
जो दिखलाएगा दिखलाएगा वो ही।।
★ नौटंकी में कोरस से तुम सबके सुर।
असली गायक वो है गाएगा वो ही।।
★ अंतर्द्वंद्व तुम्हारे रस्ता खोलेंगे।
अभी नहीं आगे भी आएगा वो ही।।
★ जिसे मशाल समझते हो इक शम्मा है।
हाथ हिला हर बार बुझाएगा वो ही।।
★ ख़ूब बनाते रहो ताश की मीनारें।
मार-मार के फूंक ढहाएगा वो ही।।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)