यूँ तो समन्दर में कभी गोते लगाया करते थे हम
अपने में वो मस्त हैं ,दूसरों की परवाह नहीं ,मित्रता में रहक
माथे पर दुपट्टा लबों पे मुस्कान रखती है
*रामपुर रजा लाइब्रेरी में चहारबैत का आयोजन*
झीमिर-झीमिर बरसा मा, धरती के अंतस जुड़ागे।
Just like a lonely star, I am staying here visible but far.
पढ़ाई -लिखाई एक स्त्री के जीवन का वह श्रृंगार है,
सद्ज्ञानमय प्रकाश फैलाना हमारी शान है।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
दोस्त,ज़िंदगी को अगर जीना हैं,जीने चढ़ने पड़ेंगे.
बिगड़ी छोटी-छोटी सी बात है...