कोशिश करना आगे बढ़ना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तेरे दिल की आवाज़ को हम धड़कनों में छुपा लेंगे।
*मन् मौजी सा भँवरा मीत दे*
रोज आते कन्हैया_ मेरे ख्वाब मैं
*सड़क को नासमझ फिर भी, छुरी-ईंटों से भरते हैं (मुक्तक)*
चलो मनाएं नया साल... मगर किसलिए?
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
आपकी अच्छाईया बेशक अदृष्य हो सकती है
आप काम करते हैं ये महत्वपूर्ण नहीं है, आप काम करने वक्त कितन
मैने सूरज की किरणों को कुछ देर के लिये रोका है ।
एक नासूर हो ही रहा दूसरा ज़ख्म फिर खा लिया।