■ लघुकथा…
#लघुकथा
■ बाहर नहीं जाऊंगा मैं…!
【प्रणय प्रभात】
बरसों पहले दूरदर्शन पर एक विज्ञापन आता था। जिसमें एक बच्चा उछल-उछल कर गाता था-
“एशेल वर्ल्ड में रहूंगा मैं।
घर नहीं जाऊंगा मैं।।”
सालों बाद उसी बच्चे की याद एक दबंग बुड्ढा दिला रहा है। बस गीत के बोल बदल कर कुछ यूं हो गए हैं-
“जेल के अंदर रहूंगा मैं।
बाहर नहीं जाऊंगा मैं।।”
लगता है कल का वही क्यूट सा बच्चा आज का एक कुख्यात माफ़िया “डॉन” बन चुका है। जिसके कुकर्म उसे बाहरी दुनिया और मौत से डरा रहे हैं।
मतलब, खुली हवा में खुले-आम घूमते हुए औरों की हवा बन्द करने वाले ज़ालिम को अब बन्द बैरक सुरक्षित हवाखोरी का ठिकाना लग रही है। यह शायद कुदरत का इंसाफ़ है।
■प्रणय प्रभात■
श्योपुर (मध्यप्रदेश)
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