■ मुक्तक और कटाक्ष…
#जंगलराज
■ चुनाव माने तनाव…!
माहौल हो तनाव का तो समझ लेना कि मौसम है चुनाव का। बात है “रामराज” के नाम पर जारी “जंगलराज” की। मुक़ाबला है सांपनाथ और नागनाथ के बीच। अमृतकाल में विष की बारिश। धर्म और अधर्म के नाम पर थोथी नूरा-कुश्ती। बेमतलब की चोंचबाज़ी। आम जीवों का जीना मुहाल। हर एक छुटभैया “माई का लाल।” निशाने पर शाश्वत संस्कृति और सभ्यताएं। दो कौड़ी के करोड़पति गधों की ढेंचू-ढेंचू का शोर। वो भी चारों ओर। हे माँ माताजी…!!
【प्रणय प्रभात】