■ मिली-जुली ग़ज़ल
#ग़ज़ल-
■ कौन क्यूं किसलिए पुकारेगा?
【प्रणय प्रभात】
– जो डुबाएगा वो उबारेगा।
जिसने तारा है वो ही तारेगा।।
– जैसे आए थे वैसे जाना है।
वस्त्र अपना कोई उतारेगा।।
– धरम-करम की गठरिया सहेज बैठे है।
पता है हाथ फ़रिश्ता कोई पसारेगा।।
– जंग ख़ुद से हो या ज़माने से।
दिल ही जीतेगा दिल ही हारेगा।।
– अजनबी आपके शहर में हम।
कौन क्यूं किसलिए पुकारेगा?
– वक़्त ने ज़ख्म कर दिए धुंधले।
वक़्त जब चाहेगा उभारेगा।।
– बन्द कमरे में मौन है दर्पण।
किसको देखेगा क्या संवारेगा??
– सोच में जिसके बस तबाही है।
रूप गुलशन का क्या निखारेगा??
■प्रणय प्रभात■
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)