“देवभूमि क दिव्य दर्शन” मैथिली ( यात्रा -संस्मरण )
*धनतेरस पर स्वास्थ्य दें, धन्वंतरि भगवान (कुंडलिया)*
तुम्हारा दिल ही तुम्हे आईना दिखा देगा
दोस्त जीवन में मिल ही जाते हैं।
घृणा के बारे में / मुसाफ़िर बैठा
यह तो हम है जो कि, तारीफ तुम्हारी करते हैं
रिश्ता दिल से होना चाहिए,
शून्य हो रही संवेदना को धरती पर फैलाओ
** सीने पर गहरे घाव हैँ **
"मुश्किलों का आदी हो गया हूँ ll