लिख रहा हूं कहानी गलत बात है
बनारस के घाटों पर रंग है चढ़ा,
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - १०)
मैं हारा हूं बस एक परीक्षा में
ताई आले कावड ल्यावां-डाक कावड़िया
"In the tranquil embrace of the night,
हर दफ़ा जब बात रिश्तों की आती है तो इतना समझ आ जाता है की ये
मेरी किस्मत पे हंसने वालों कब तलक हंसते रहोगे
बेहद खुशनुमा और हसीन से हो गए हैं ये दिन।