■ पात्र या अपात्र
#शर्म_होगी_तो_आएगी!
■ लाड़ली बहना .. क्या कहना!!
【प्रणय प्रभात】
उल्टे पल्ले की सिल्क वाली साड़ी। चमकते चेहरे पर दमकता मेकअप। गले में सोने के पेंडल वाला मंगलसूत्र। पैरों में शानदार चप्पल। आखों पर सुंदर सा चश्मा। हाथ में योजना का फार्म और क़तार में हिस्सा। कानाफूसी के रूप में चर्चा। कम से कम पार्लर और मोबाइल का तो निकलेगा खर्चा। देखते जाइए होंडा-छोड़ी। सूची के बाद होगी असली माथाफोड़ी। अभी बज रही हैं तालियां। कल मिल सकती हैं गालियां।
सबकी मंशा एक है भैया। खाते में आए हज़ार रुपैया। फ्री की दक्षिणा हो क़रीब, तो हर कोई ग़रीब। कुल मिला कर सरकारी सौगात में हिस्सा। हर माह फ़ोकट के हज़ार रुपए पाने का चक्कर और वास्तविक पात्रों को अपात्रों की खुलीं टक्कर। पात्रता-अपात्रता के बीच खिंचती लकीरें। न्यूज़ चैनलों पर दिखती चमकदार तस्वीरें। वाह री लाड़ली बहना, तेरा भी क्या कहना।।”
★सम्पादक★
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