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22 Sep 2023 · 1 min read

■ देसी ग़ज़ल

#तेवरी-
■ हंस वेश में काले कौए…!
【प्रणय प्रभात】

◆ काला दिल है काले कौए।
कब किसने हैं पाले कौए??

◆ श्राद्ध पक्ष में सदा नदारद।
जितने है नखराले कौए।।

◆ रजधानी में ख़ूब मिलेंगे।
हंस वेश में काले कौए।।

◆ ख़ुद की रक्षा गन-मेनों पर।
मुल्क़ के हैं रखवाले कौए।।

◆ राग चुनावी गूँज रहा है।
रंग में हैं मतवाले कौए।।

◆ खुली सड़क पे घर वाले तो।
घर में बाहर वाले कौए।।

◆ पता नहीं ऊपर वाले ने।
किस सांचे में ढाले कौए।।

◆ कल तक धुत्कारे जाते थे।
अब हो गए निराले कौए।।

◆ चीलों को दीदी कहते हैं।
गिद्धों के हैं साले कौए।।

◆ ढूंढ के देखो नहीं मिलेंगे।
चैन से बैठे-ठाले कौए।।

●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

1 Like · 265 Views
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