■ देसी ग़ज़ल
#तेवरी-
■ हंस वेश में काले कौए…!
【प्रणय प्रभात】
◆ काला दिल है काले कौए।
कब किसने हैं पाले कौए??
◆ श्राद्ध पक्ष में सदा नदारद।
जितने है नखराले कौए।।
◆ रजधानी में ख़ूब मिलेंगे।
हंस वेश में काले कौए।।
◆ ख़ुद की रक्षा गन-मेनों पर।
मुल्क़ के हैं रखवाले कौए।।
◆ राग चुनावी गूँज रहा है।
रंग में हैं मतवाले कौए।।
◆ खुली सड़क पे घर वाले तो।
घर में बाहर वाले कौए।।
◆ पता नहीं ऊपर वाले ने।
किस सांचे में ढाले कौए।।
◆ कल तक धुत्कारे जाते थे।
अब हो गए निराले कौए।।
◆ चीलों को दीदी कहते हैं।
गिद्धों के हैं साले कौए।।
◆ ढूंढ के देखो नहीं मिलेंगे।
चैन से बैठे-ठाले कौए।।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)