Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Mar 2023 · 1 min read

■ देसी ग़ज़ल…

■ देसी ग़ज़ल / छोड़ दे…!!
【प्रणय प्रभात】

★ दीप पानी के जलाना छोड़ दे।
देश को उल्लू बनाना छोड़ दे।।

★ इस तरह तो नाव बढ़ने से रही।
रेत में चप्पू चलाना छोड़ दे।।।

★ पल रहा है जिस घड़े के नीर पर।
छेद अब उसमें बनाना छोड़ दे।।

★ सूरमा बनने का भारी चाव है।
हर कहीं पे रोना-गाना छोड़ दे।।

★ हो गया पचपन का बचपन छोड़ के।
हर जगह टेसू अड़ाना छोड़ दे।।

★ देख पुरखे आसमां पे रो रहे।
साख को बट्टा लगाना छोड़ दे।।

★ मान ले बस में तेरे तू ख़ुद नहीं।
छोड़ दे शिकवे बहाना छोड़ दे।।

★ ये सुना है अब तपस्वी हो गया।
मान लेंगे, तिलमिलाना छोड़ दे।।

★ कौन सिखलाता है बातें बेतुकी।
साथ अब उसका निभाना छोड़ दे।।

★ पेंशन की उम्र में भी टेंशन।
अब तो अम्मी को सताना छोड़ दे।।

【बुरा न मानो होली है】
★प्रणय प्रभात★
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

2 Likes · 2 Comments · 343 Views

You may also like these posts

अदावत
अदावत
Satish Srijan
* बडा भला आदमी था *
* बडा भला आदमी था *
भूरचन्द जयपाल
फुर्सत से आईने में जब तेरा दीदार किया।
फुर्सत से आईने में जब तेरा दीदार किया।
Phool gufran
हादसे जिंदगी में मेरे कुछ ऐसे हो गए
हादसे जिंदगी में मेरे कुछ ऐसे हो गए
Shubham Pandey (S P)
🙏🙏🙏
🙏🙏🙏
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
तुम्हारी बात कैसे काट दूँ,
तुम्हारी बात कैसे काट दूँ,
Buddha Prakash
फूलों की बात हमारे,
फूलों की बात हमारे,
Neeraj Agarwal
तोहफा इश्क़ में
तोहफा इश्क़ में
Surinder blackpen
तिरंगा
तिरंगा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
15, दुनिया
15, दुनिया
Dr .Shweta sood 'Madhu'
कभी छोड़ना नहीं तू , यह हाथ मेरा
कभी छोड़ना नहीं तू , यह हाथ मेरा
gurudeenverma198
2735. *पूर्णिका*
2735. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
#ਪੁਕਾਰ
#ਪੁਕਾਰ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
*बसंत*
*बसंत*
Shashank Mishra
Oh life ,do you take account!
Oh life ,do you take account!
Bidyadhar Mantry
अरे वो बाप तुम्हें,
अरे वो बाप तुम्हें,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
■ सवालिया शेर।।
■ सवालिया शेर।।
*प्रणय*
आगे बढ़ने एक साथ की जरूरत होती है
आगे बढ़ने एक साथ की जरूरत होती है
पूर्वार्थ
आलम ए हिंद (व्यंग)
आलम ए हिंद (व्यंग)
goutam shaw
संघर्ष और निर्माण
संघर्ष और निर्माण
नेताम आर सी
सोचो मन के उस हद तक
सोचो मन के उस हद तक
मनोज कर्ण
दवाइयां जब महंगी हो जाती हैं, ग़रीब तब ताबीज पर यकीन करने लग
दवाइयां जब महंगी हो जाती हैं, ग़रीब तब ताबीज पर यकीन करने लग
Jogendar singh
जब मुझको कुछ कहना होता अंतर्मन से कह लेती हूं ,
जब मुझको कुछ कहना होता अंतर्मन से कह लेती हूं ,
Anamika Tiwari 'annpurna '
" कराह "
Dr. Kishan tandon kranti
बे-फ़िक्र ज़िंदगानी
बे-फ़िक्र ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
उजले ख्वाब।
उजले ख्वाब।
Taj Mohammad
बंसत पचंमी
बंसत पचंमी
Ritu Asooja
दोहे
दोहे
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
"" *भारत* ""
सुनीलानंद महंत
कुछ ज़ब्त भी
कुछ ज़ब्त भी
Dr fauzia Naseem shad
Loading...