हमें क्या पता मौत को गले लगाने जा रहे थे....😥😥😥
*मिलती जीवन में खुशी, रहते तब तक रंग (कुंडलिया)*
नूर ओ रंगत कुर्बान शक्ल की,
हर इंसान होशियार और समझदार है
नैन खोल मेरी हाल देख मैया
I want to have a sixth autumn
एक सिपाही
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
భారత దేశం మన పుణ్య ప్రదేశం..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
चलते रहे थके नहीं कब हौसला था कम
अच्छे कर्मों का फल (लघुकथा)
रमेशराज की गीतिका छंद में ग़ज़लें
"डोजर" के चेप्टर पर तो "क्लोजर" लगा दिया हुजूर!अब "गुल" खिला